Saturday, 31 December 2016
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07:15
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आप लोगो को बताते हुये महान खुशी हो रही है कि बालाजी कृपा समिति विगत कई वर्षों से लोगो के आर्थिक संकट, मानसिक संकट, प्रेतादिक संकट, शारीरिक संकट, कालसर्प दोष, पितृ दोष, मंगली दोष, कुंडली दोष, नव ग्रह की दशा-महादशा, और प्रेतादिक परेशानीयों का निवारण श्री हनुमान बालाजी सरकार व अन्य देवो के पूजा-पाठ, हबन-यज्ञ एवंम् धर्मिक अनुष्ठानों के माध्यम से योग्य आचर्यो दुवार करती चली आ रही है ! इन किसी परेशानियों से ग्रसित भक्त बालाजी कृपा से सम्पर्क कर सकते है !!!आप की सफलता ही हमारा परम उद्देश्य है !! भगवान आप लोगो को खुशियाँ प्रदान करे!!
Friday, 4 March 2016
महा शिव रात्रि पर ऐसे पूजा कर के करे महादेव को प्रसन्न !!
महादेव शिव को प्रसन्न करने के लिए कई उपाय और शुभ दिन ढूढ़ते है। फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि यानीकि 7 मार्च को सुबह 11 बजकर 13 मिनट से लेकर दूसरे दिन सुबह 9 बजकर 35 मिनट तक रहेगी। इस बार सोमवार पडने के साथ-साथ ही दुर्लभ योग है जो कि 18 साल के बाद पड़ रही है। इस दिन पूजा- पाठ करना बहुत ही पुण्यकारी है। साथ ही इस दिन पूजा कर आप काल सर्प योग से भी निजात पा सकते है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार इस दिन कुंभ राशि सूर्य, चंद्रमा, बुध, शुक्र व केतु, पांच ग्रह मिलन (युति) करेंगे। जिसके कारण इन चारों प्रहर में पूजा करना अति फलदायी है। इस दिन व्रत- पूजा करने उनके भक्तों को स्थिर लक्ष्मी और आरोग्यता प्रदान होती है।18 साल बाद बना ये दुर्लभ योग 25 फरवरी 1998 को बना था। जो कि अब 7 मार्च 2016 को बनेगा।
ऐसे करें शिव को प्रसन्न :-
भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए यह दिन काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन विधि-विधान के साथ पूजा करने से जरुर भगवान प्रसन्न होते है। इनकी चारों में पूजा की जा सकती है। इसलिए हर प्रहर में भोलेनाथ को गन्ना, कुश, दूध, खस आदि का अभिषेक किया जाएगा। इसके साथ ही रुद्र पाठ, शिव महिमन
और तांडव स्त्रोत का पाठ करें । और षोड्षोपचार पूजन के साथ भगवान शिव को आक, धतूरा, भांग, बेर, गाजर चढ़ाया जाएगा।
इस तरह होगी चार प्रहर में पूजा :-
शैव व वैष्णव दोनों मतों के लोगों के एक ही दिन यह पर्व मनाने के कारण चार प्रहर की पूजा भी इसी दिन की जाएगी। जिसके प्रहर के अनुसार ये समय है।
निशीथ काल: आधी रात 12 बजकर 13 मिनट से लेकर 1 बजकर 02 मिनट तक
पहला प्रहर: शाम 6 बजकर 27 मिनट से लेकर रात 9 बजकर 32 मिनट तक।
दूसरा प्रहर: रात 9 बजकर 33 मिनट से लेकर 12 बजकर 37 मिनट तक
तीसरा प्रहर: आधी रात 12 बजकर 38 मिनट से 3 बजकर 42 मिनट तक।
चौथा प्रहर: आधी रात के बाद 3 बजकर 43 मिनट से लेकर सुबह 6 बजकर 47 तक।
शिवरात्रि पर राशि अनुसार ये उपाय करके आप अपने दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदल सकते हैं
मेष: संतान सुख के लिए शिवलिंग पर लाल कनेर के फूल चढ़ाएं।
वृषभ: गृह क्लेश से मुक्ति के लिए शिवालय में नारियल तेल का दीपक करें।
मिथुन: विवाद से मुक्ति के लिए शिवलिंग पर मिश्री के जल से अभिषेक करें।
कर्क: धन में सफलता के लिए शिवलिंग पर आकड़ें के फूल चढ़ाएं।
सिंह: मेंटल टेंशन से मुक्ति के लिए नारियल पर मौली बांधकर शिवलिंग पर चढ़ाएं।
कन्या: आर्थिक हानि से बचने के लिए शिवलिंग पर पीपल के पत्ते चढ़ाएं।
तुला: धन प्राप्ति के लिए शिवलिंग पर गन्ने के रस से अभिषेक करें।
वृश्चिक: प्रमोशन के लिए शिवलिंग पर बिल्व पत्र चढ़ाएं।
धनु: सौभाग्य के लिए शिवलिंग पर पीले कनेर के फूल चढ़ाएं।
मकर: दुर्भाग्य से बचने के लिए शमीपत्र मिले जल से शिवलिंग का अभिषेक करें।
कुंभ: सुखी दांपत्य के लिए तिल के तेल से शिवलिंग का अभिषेक करें।
मीन: शत्रुओं से मुक्ति पाने के लिए केसर मिले जल से शिवलिंग का अभिषेक करें।-
Sunday, 24 January 2016
क्या आप को पता है भक्ति क्या है !!
" श्री बालाजी सरकार मैने बहुत सुना है तेरे और तेरे दरबार के बारे में कि मेहदीपुर धाम के बालाजी दरबार में सब कुछ मिलता है आप बालाजी सरकार सबकी मनोकॉमनाये पूर्ण करते हो ,मैं आप के बारे में ज्यादा तो नहीं जनता पर् इतना जानता हूँ कि " विशुद्द भक्ति उसे कहते है जिसमें जरा सी भी कामना न हो ,यदि भक्ति में जरा सी भी कामना रह जाये तो वह भक्ति ,भक्ति ही नही रही वह तो व्यापार बन गयी ,अगर भक्ति के बदले हमने भगवान से कुछ मांगा तो हम भक्त ही कहा रह गये ,हम भक्त नही , हम प्रेमी नही हम तो मजदूर बन गये ,और भगबान से भक्ति के बदले अपनी मजदूरी मांग रहे है ,भक्ति के बदले कुछ मांगा तो समझो हम चूक गये हमने कहा कि जैसे - प्रभु मेरी पत्नि बीमार है ठीक हो जाये या फिर हमारे बेटे की प्रभु अच्छी सी नौकरी लग जाये ,तो समझो हम भक्ति से चूक रहे है ,यह भक्ति नही रही यह तो कामना हो गयी है ,क्यों कि भगबान तो विना मागे ही सब देते है !
भक्ति तो तभी है जिसमे कोई मांग न हो ,जब कोई अपेक्षा न हो जिसमें स्वयं का कोई विचार ही न हो ,सब कुछ मौन में परिवर्तन हो जाये कहने को कुछ भी शेष न रह जाये ,सब कुछ प्रभु की भक्ति में विलीन हो जाये ,भक्ति तो भगवान का विशुद्द धन्यवाद है ,भक्ति में मांग का तो सवाल ही नही उठता है ,भक्ति के बदले मांग कर तो हम उस भक्ति का अपमान कर रहे है ,
भगवान ने जो दिया है वह इतना ज्यादा है कि हम अनुगृहीत है ,भगवान ने जो दिया है वह हमारी पात्रता से कही अधिक है ,जिस संसार सागर में हम डूबे हुऐ है ,हम तो जरा सी कृपा के अधिकारी भी नही है ,फिर भी हम कृपा के अधिकारी हुऐ , यह प्रभु की कृपा नही तो और क्या है ,ऐसी कृतज्ञयता का नाम ही तो भक्ति है ,
भक्ति आग की तरह है और सुमिरन घी की तरह है ,यदि हम चाहते है कि भक्ति की ऑच धीमी न पढ़े तो सांस सांस में प्रभु के नाम का घी डालते रहियेगा , और यह भी ध्यान में रखना चाहिये कि जिस तरह सुई में धागा डालने से वह सुरक्षित रहती है खोई नही जाती ठीक उसी तरह आत्मा रूपी सुई में सुमिरन रूपी धागा डाला जाये तो वह संसार में कभी भी खोई नही जाती है ,क्यो कि प्रभु जी उस सच्चे धागे को हमेशा पकड कर रखते है , और इस हमारे शरीर के अंत समय वह आत्मा चौरासी लाख यौनियों में न भटक कर प्रभु जी की कृपा से प्रभु जी के अंदर ही विलीन हो जायेगी , क्यो कि भगवान जी सबसे पहले हमारे अंदर ही विराजमान है ,इसी लिऐ किसी के दिल को दुखाने से पहले हमें अपने अंदर बैठे भगवान का ध्यान जरूर कर लेना चाहिये ,जिससे सबका कल्याण हो और सबका उद्धार हो !!
Tuesday, 12 January 2016
भगबान शिव (महाकालेश्वर ) का पंचाक्षरी महामंत्र प्रयोग !!
ये साधना मूल रूप से भगवान् शिव की कृपा प्राप्ति हेतु है और पंचाक्षरी मन्त्र से शिव की प्राप्ति भी संभव है इतिहास और हमारे पुराण प्रमाण हैं कि भगवती पार्वती ने भी इसी मन्त्र के द्वारा भगवान् शिव को प्राप्त करने के लिए पहला चरण बढ़ाया था ! शिव यानि परब्रम्ह और परब्रम्ह की प्राप्ति यानी मूल उत्स से लेकर सहस्त्रार तक पहुँचने कि क्रिया !साधना और प्रयोग में अंतर है यदि इस क्रिया को साधनात्मक रूप में करना है तो समय और श्रम दोनों ही लगेंगे और यदि मात्र प्रयोग करना है तो कृपा तो प्राप्त हो जाती है क्योंकि महादेव तो भोलेनाथ है ही हैं ना !!
साधना विधान और सामग्री—शिव लिंग निर्माण हेतु--- तंत्र साधको के लिए शमशान की मिटटी,और भस्म, श्यामा (काली) गाय का गोबर दूध और घी, गंगा जल, शहद बेलपत्र धतूर फल और फूल स्वेतार्क के पुष्प, भांग रुद्राक्ष की माला, लाल आसन, लाल वस्त्र !
इन सभी सामग्री को पहले ही इकत्रित कर लें ! स्नानादि से निवृत्त होकर जहा पर शिवलिंग का निर्माण करना है उस स्थान को गोबर से लीप कर पवित्र कर लें ! तथा मिटटी भस्म और गोबर को गंगा जल से भिगोकर एक १६ इंच लम्बा और पांच इंच मोटा यानि गोलाई ५ इंच होनी चाहिए, शिवलिंग का निर्माण करें !
साधना विधान—
पीले वस्त्र और पीला आसन उत्तर दिशा की ओर मुख कर आसन ग्रहण करें और संकल्प लेकर जो भी आप चाहते हैं, मैंने पहले ही कहा है कि यदि आप साधना करना चाहते हैं तो संकल्प पूर्ण सिद्धि का और प्रयोग करना चाहते हैं तो उस कार्य का दिन ११ या २१ करके जो आप माला निश्चित करना चाहते हैं जैसे--- ३१,०००, ५१००० आदि ! किन्तु साधना हेतु ५ लाख जप ही आवश्यक है ! मंत्र के पूर्व गुरु पूजन कर चार माला अपने गुरुमंत्र की अवश्य करें जो इस साधना में आपके शरीर को निरंतर उर्जा और सुरक्षा प्रदान करती रहेगी ! गौरी गणेश की स्थापना सुपारी में कलावा लपेटकर करें और पुजन संपन्न करें तथा अपने दाहिने ओर भैरव की स्थापना करें यदि आपके पास भैरव यंत्र या गुटिका हो तो अति उत्तम या फिर सुपारी का भी उपयोग कर सकते हैं अब भगवान् भैरव का पूजन सिन्दूर और लाल फूल से करें तथा गुड का भोग लगायें ! उनके सामने एक सरसों के तेल का दीपक प्रज्वलित करें जो मन्त्र जप तक जलता रहे ! अब अपने बायीं ओर एक घी का दीपक प्रज्वलित करें जो कि पूरे साधना काल में अखंड जलता रहे !
ध्यान-
ध्यायेन्नितय् महेशं रजतगिरिनिभं चारूचंद्रावतंसं ,
रत्नाकल्पोज्ज्व्लाङ्ग परशुमृगवराभीति हस्तं प्रसन्नम् !
पद्मासीनं समन्तात् स्तुतममरगणैव्याघ्रकृत्तिं वसानं,
विश्ववाध्यम विश्ववध्यम निखिल भयहरं पञ्चवक्त्रं त्रिनेत्रं !
ॐ श्री उमामहेश्वराभ्यां नमः आवाहयामि, स्थापयामि पूजयामि !!
इसके शिव का पूजन पंचामृत, गंगाजल और फूल और नैवेध्य आदि से करें और एक पंचमुखी रुद्राक्ष की छोटे दानों की माला शिव को पहना दें और दूसरी माला से जप करें ! सहना के संपन्न होते ही ये माला दिव्य माला हो जाएगी जो जीवनपर्यंत आपके काम आएगी ! अब एक पाठ रुद्राष्टक का करें व मन्त्र जप की सिद्धि हेतु प्रार्थना करें अब अपनी संकल्प शक्तिअनुसार जप करें !
मन्त्र—
!! ॐ नम: शिवाय !!
इसके बाद फिर एक पाठ रुद्राष्टक का और पुनः गुरु मन्त्र ! पूरे दिन आपका यही क्रम होना चाहिए ! किसी भी साधना में नियम संयम का पालन पूरी दृढता होना ही चाहिए न कि अपने अनुसार कम या ज्यादा !
नियम- जो कि अन्य साधना में होते हैं- पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन, भूमि शयन, क्षौर कर्म वर्जित आदि !
विशेष—ये साधना शैव साधकों की है अतः उनमे कुछ अघोर पद्धति से भी होंगे और कुछ वामपंथ से भी अतः उनके लिए उनका तीनों संध्या अर्थात क्रम पूजन अति आवश्यक है और यदि उन्हें शिव का अघोर पूजन क्रम आता हो तो प्रतिदिन उसी पूजन को करें क्योंकि मूलतः ये अघोर साधना ही है किन्तु शौम्यता का समावेश लिए हुए ! इस साधना क्रम को पूर्णिमा से प्रारम्भ कर पूरे संकल्प तक संपन्न करना है अतः जो भी साधना का संकल्प लें अच्छे से सोच समझकर करें ताकि बीच में क्रम टूटे न !
तो, जो साधक हैं वे तैयारी करें और हो जाएँ शिवमय !
इस बर्ष 15 जनबरी को सूर्य करेगा मकर में प्रवेश, क्या होगा 12 राशियों पर असर !!
इस बार मकर संक्रांति 15 जनवरी, शुक्रवार हाथी पर सवार होकर गर्दभ उपवाहन के साथ मुकुट का आभूषण पहनकर पशुजाति की मकर संक्रांति गोरोचन का लेप लगाकर लाल वस्त्र और बिल्वपत्र की माला पहनकर हाथ में धनुष धारण कर हाथ में लोहै का पात्र लिए दुग्धपान करती हुई प्रोढअवस्था में रहेगी ! इस वर्ष सूर्य मकर राशि में 14 जनवरी को सूर्यास्त के बाद शाम 7 बजकर 27 मिनिट पर प्रवेश करेगा | संक्रांति का पुण्यकाल 14 जनवरी की दोपहर 1 बजकर 3 मिनिट पर प्राम्भ होगा जो अगले दिन 15 जनवरी को 11 बजकर 27 मिनिट तक रहेगा ! संक्रांति के बाद स्नान , दान और पूजा का महत्व है |
क्यों मनाई जाती है मकर संक्रांति ---
भगवान भुवन भास्कर के धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करने पर मकर संक्रांति कहते है ! पूरे वर्ष में 12 संक्रांतिया होती है जब मेष ,वृषभ , आदि राशि में भगवान सूर्य प्रवेश करते है तो उसे ही मेषादि संक्रांति कहा जाता है लेकिन सबसे ज्यादा मकर संक्रांति का महत्व होता है इसे उत्तरायण भी कहा जाता है क्योकि इस दिन से सूर्य आने वाले 6 माह के लिए उत्तरायण हो जाते है | शास्त्रों में उतरायण को देवताओं दिन माना जाता है और कर्क संक्रांति के बाद के 6 माह को दक्षिणायन कहा जाता है जिसे देवताओं की रात मानी जाती है , जबकि मान्यता है दक्षिणायन पितरो की दिन होता है और उत्तरायण पितरो की रात होती है ! सूर्य के मकर राशि में आने के बाद दिन बड़े होने लगते है , नये प्रकाश का उदय होता है ,प्रकाश उन्नति ,जीवंत शक्ति , सकारात्मकता , का प्रतिक होने से इसका महत्व बहुत ज्यादा होता है | यही बेला होती है जब शिशिर ऋतु की विदाई और वसंत का आगमन होता है !
मकर संक्रांति पर बनेंगे ये योग--
मकर संक्राति से देवताओं का दिन आरंभ होता है, ऐसा मान्यता है। इस बार मकर संक्राति अर्की है। मकर संक्रांति उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में आरंभ होगी, जो पशुओं के लिए सुखदायी रहेगी। पाखंड करने वालों का नाश करेगी व व्यापार के लिए फलदायी रहेगी। सूर्य मकर राशि में एवं नवांश में भी मकर में रहेगा। साथ ही, मंगल भी उच्च का होकर नवांश में मकर का रहेगा। इस योग से पूरा वर्ष अच्छा रहेगा। वर्षा जोरदार रहेगी एवं खेती में लाभ होगा।
मेष--
मकर संक्रांति मामूली चिंताजनक है। अज्ञात भय रहेगा। जोखिम भरे कामों को टालने का प्रयास करें। परिवार में खुशियों भरा माहौल रहेगा। इस दिन आपको लाल रंग के वस्त्र धारण करना श्रेष्ठ रहेगा तथा मच्छरदानी एवं तिल का दान करना उचित होगा। शुभ रंग लाल, अंक- 8
वृषभ--
मकर संक्रांति आपके लिए खुशियों को बढ़ाने वाली होगी। विशेषकर विद्यार्थियों को बहुत लाभ होगा। हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होगी। व्यापार में तरक्की होगी। इस दिन आप सफेद रंग के कपड़े पहनें व ऊनी कपड़े व तिल का दान करें। शुभ रंग सफेद, अंक- 7
मिथुन--
शनि-रवि से युक्त मकर संक्रांति आपको मामूली परेशान कर सकती है। ज्यादा चिंता की जरूरत नहीं, यह मात्र कुछ घंटों के लिए ही होगा। शाम तक प्रसन्नता प्राप्त होगी। इस दिन हरे रंग के कपड़े श्रेष्ठ होगा। तिल एवं मच्छरदानी का दान करें। शुभ रंग हरा, अंक-6
कर्क--
मकर संक्रांति से आपके व्यापार में लाभ एवं परिवार में खुशियां होंगी। अब तक हुए नुकसान की भरपाई होगी। अटके धन की प्राप्ति होगी। समस्याओं का समाधान होगा। इस दिन आपको सफेद रंग के कपड़े पहनने चाहिए। तिल, साबूदाने एवं ऊन का दान करें। शुभ रंग सफेद, अंक-4
सिंह--
मकर संक्रांति पर आपको संतोष एवं सुख का अहसास होगा। नए काम करने के अवसर मिलेंगे। मान-सम्मान एवं प्रसिद्धि बढ़ेगी। नए संपर्क बनेंगे। इस दिन आप केसरिया कपड़े पहनें तो शुभ रहेगा। तिल, कंबल, मच्छरदानी अपनी क्षमतानुसार दान करें। शुभ रंग केशरी, अंक- 5
कन्या--
यह पर्व आपके लिए विशेष खुशियां लेकर आ रहा है। व्यापार एवं व्यवसाय में लाभ होगा। परिवार में आ रहा दबाव खत्म होगा। सम्मानित लोगों से मिलना-जुलना होगा। इस दिन आपके लिए हरे कपड़े पहनना शुभ रहेगा। तिल, कंबल, तेल, उड़द दाल का दान करें। शुभ रंग हरा, अंक- 3
तुला--
मकर संक्रांति आपको सावधान रहकर मनाना है। किसी अनजान की बातों पर विश्वास नही करें। निवेशादि से बचने का प्रयास करें। संतान पर ध्यान दें। इस दिन आप सफेद पहनें। तेल, रुई, वस्त्र, राई, मच्छरदानी का दान करें। शुभ रंग सफेद, अंक- 2
वृश्चिक--
मकर संक्रांति पर लाभ एवं खुशी के समाचार मिल सकते हैं। व्यापार-व्यवसाय में लाभ होगा। संबंधियों एवं सहयोगियों से सहायता प्राप्त होगी। इस दिन आप लाल कपड़े पहनें तो शुभ रहेगा। कंबल, ऊनी वस्त्र ब्राह्मण को या किसी जरूरतमंद को दान कीजिए। शुभ रंग लाल, अंक- 1
धनु--
मकर संक्राति का पर्व आपके लिए महत्वपूर्ण है। आपकी साधनाओं को सफलता मिलेगी। कई दिनों से जो काम करना चाह रहे थे, वह पूरा होगा। ट्रांसपोर्ट एवं आयात-निर्यात वालों को फायदा होगा। इस दिन पीले या केसरी रंग के कपड़े पहनना आपके लिए शुभ रहेगा। तिल व चने की दाल का दान करें। शुभ रंग केशरी, अंक-12
मकर--
मकर संक्रांति का पर्व आप धार्मिक तरीके से मनाएंगे। धार्मिक कामों में सम्मिलित होंगे। व्यापार-व्यवसाय में तरक्की होगी। शुभ समाचारों की प्राप्ति होगी। संतान के लिए सोचे गए काम पूरे होंगे। इस दिन आप नीले या आसमानी रंग के कपड़े पहनें। तेल, तिल, कंबल, पुस्तक का दान करें। शुभ रंग नीला, अंक- 11
कुंभ--
मकर संक्रांति का पर्व सचेत रहने का संकेत करता है। अनजानों पर विश्वास नहीं करें। जोखिम भरे कामों को टालने का प्रयास करें। इस दिन आप नीले या काले कपड़े पहनें। तिल, साबुन, वस्त्र, कंघी, अन्न का दान कीजिए। शुभ रंग काला, अंक-10
मीन--
मकर संक्रांति पर्व आपके कामों को सम्मान दिलाने वाला होगा। नए लोगों से संपर्क होगा। कार्यक्षेत्र का विकास होगा। इस दिन आपको पीले या गुलाबी कपड़े पहनना चाहिए। व्यापार शुभ होगा। तिल, चना, साबूदाना, कंबल, मच्छरदानी का दान करें। शुभ रंग गुलाबी, अंक- 9
Saturday, 9 January 2016
क्या आप को पता है करोड़पति होने के 10 भाग्यशाली योग !!
जन्मकुंडली में करोड़पति होने के योग कैसे पहचानें? कुंडली के ग्रह की स्थिति और भाव विशेष से व्यक्ति जान सकता है कि उसे धन कब, कैसे और किस मार्ग से प्राप्त होगा।
1- मंगल चौथे, सूर्य पांचवें और गुरु ग्यारहवें या पांचवें भाव में होने पर व्यक्ति को पैतृक संपत्ति से, कृषि या भवन से आय प्राप्त होती है, जो निरंतर बढ़ती जाती है। इसे करोड़पति योग कहते हैं।
2- गुरु जब दसवें या ग्यारहवें भाव में और सूर्य और मंगल चौथे और पांचवें भाव में हो या ग्रह इसकी विपरीत स्थिति में हो तो व्यक्ति प्रशासनिक क्षमताओं के द्वारा धन अर्जित करता है।
3- गुरु जब कर्क, धनु या मीन राशि का और पांचवें भाव का स्वामी दसवें भाव में हो तो व्यक्ति पुत्र और पुत्रियों के द्वारा अपार धन लाभ पाता है।
4- बुध, शुक्र और शनि जिस भाव में एक साथ हो वह व्यक्ति को व्यापार में बहुत उन्नति कर धनवान बना देता है।
5- दसवें भाव का स्वामी वृषभ राशि या तुला राशि में और शुक्र या सातवें भाव का स्वामी दसवें भाव में हो तो व्यक्ति विवाह के द्वारा और पत्नी की कमाई से बहुत धन पाता है।
6 -शनि जब तुला, मकर या कुंभ राशि में होता है, तब अकाउंटेंट बनकर धन अर्जित करता है।
7- बुध, शुक्र और गुरु किसी भी ग्रह में एक साथ हो तब व्यक्ति धार्मिक कार्यों द्वारा धनवान होता है। जिनमें पुरोहित, पंडित, ज्योतिष, कथाकार और धर्म संस्था का प्रमुख बनकर धनवान हो जाता है।
8- कुंडली के त्रिकोण घरों या केन्द्र में यदि गुरु, शुक्र, चंद्र और बुध बैठे हो या फिर 3, 6 और ग्यारहवें भाव में सूर्य, राहु, शनि, मंगल आदि ग्रह बैठे हो तब व्यक्ति राहु या शनि या शुक्र या बुध की दशा में असीम धन प्राप्त करता है।
9- यदि सातवें भाव में मंगल या शनि बैठे हो और ग्यारहवें भाव में केतु को छोड़कर अन्य कोई ग्रह बैठा हो, तब व्यक्ति व्यापार-व्यवसाय के द्वारा अतुलनीय धन प्राप्त करता है। यदि केतु ग्यारहवें भाव में बैठा हो तब व्यक्ति विदेशी व्यापार से धन प्राप्त करता है।
10- यदि सातवें भाव में मंगल या शनि बैठे हों और ग्यारहवें भाव में शनि या मंगल या राहु बैठा हो तो व्यक्ति खेल, जुआ, दलाली या वकालात आदि के द्वारा धन पाता है।
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