ब्रह्मा ,बिष्णु ,शिव ,यम, इन्द्र ,दुर्गा आदि परमात्मा के अनेक नाम है कोई विष्णु रूप मे परमात्मा की पूजा करता है तो कोई शिव रूप मे ! कही उन परमब्रह्म परमात्मा को दुर्गा रूप मे पूजते है कही काली के रूप में तात्पर्य यह है की परमात्मा एक है किन्तु अलग-अलग अनेक रूपों में पूजा होती है !
भगबान श्री हरि विष्णु और त्रिशूलधारी भगबान शिव एक दूसरे के पूरक है रामेश्वरम सेतु बांध बांधने से पहले भगवान श्री विष्णु के अंशावतार भगबान श्री रामचंद्र जी ने सागर तट पर बालू रेत के शिवलिंग की स्थापना करके भगवान शिव की पूजा की ! भस्मासुर दैत्य को लेकर शिव जी पर जब विपत्ति आई उस समय पार्वती का रूप धारण करके विष्णु जी ने उनकी रक्षा की शिव जी हमेशा विष्णु जी के ध्यान में मग्न रहते है ! और विष्णु जी भी शिव की स्तुति पूजा करते रहते है ! इस तरह इनमे कोई भेद नहीं है जो प्राणी इनके बीच में भेद समझता है ! उसका कभी कल्याण नहीं हो सकता है !
भगवान को अवतरित होने के लिए पवित्र भूमि चाहिए अर्थात जहा यज्ञ , पूजा-पाठ , आराधना-उपासना नित्य होती है ! ऐसी ही पवित्र भूमि पर नारायण का अवतरण होता है ! जहा ऋषि-मुनियो एबं वेदज्ञ ब्राम्हण सदेव मंत्रोच्चाररण करते हो ऐसी पवित्र एबं पुण्यमयी भारत भूमि ही है| भारतबासियो को इसका गौरव होना चाहिए भारत भूमि में अवतरित होकर भी भगवान ने अन्य देशो में रहने वाले अपने भक्तो की रक्षा की ! भगवान श्री कृष्ण जी ने यूनान के कालयवन का चीन में भगदत्त का वध करके पृथ्वी पर शांति की स्थापना की| भगवती दुर्गा ने यूरोप के विदालाक्षा और अमेरिका के रक्तबीज का संहार किया !
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