
बचपन में हनुमान जी बड़े ही नटखट थे। प्रायः वे ऋषियों के आसन उठाकर पेड़ पर टांग देते, उनके कमंडल का जल गिरा देते, उनके वस्त्र फाड़ डालते, कभी उनकी गोद में बैठकर खेलते और एकाएक उनकी दाढ़ी नोचकर भाग खड़े होते। उन्हें कोई रोक नहीं सकता था। अंजना और केसरी ने कई उपाय किए परंतु हनुमान जी राह पर नहीं आए। अंत में ऋषियों ने विचार करके यह निश्चय किया कि हनुमान को अपने बल का घमंड है अतः उन्हें अपने बल भूलने का शाप दिया जाए और जब तक कोई उन्हें उनके बल का स्मरण नहीं कराएगा वह भूले रहेंगे। केसरी ने हनुमान को सूर्य के पास विद्याध्ययन के लिये भेजा और वह शीघ्र ही सर्वविद्या पारंगत होकर लौटे।सीता का पता लगाने के समय जाम्बवन्त के याद दिलाने पर उन्हें अपनी अपार शक्ति की पुनः याद आ गई। सीता माता की खोज में वानरों का एक दल दक्षिण तट पे पँहुच गया। मगर इतने विशाल सागर को लांघने का साहस किसी में भी नहीं था। स्वयं हनुमान भी बहुत चिन्तित थे कि कैसे इस समस्या का समाधान निकाला जाये। उसी समय जामवन्त और बाकी अन्य वानरों ने हनुमान को उनकी अदभुत शक्तियों का स्मरण कराया। और उन्होंने समुद्र को लांघ कर अशोक वाटिका में सीता जी का पता लगाया तथा लंका दहन किया। उनका बल पौरुष देखकर सीताजी को बड़ा संतोष हुआ और उन्होंने हनुमानजी को अष्ट सिद्धियों और नौ निधियों के स्वामी होने का वरदान दिया। इस प्रकार हनुमान जी सर्वशक्तिमान देवता बने और श्री राम की सेवा में रत रहे।हनुमान जी अपने भक्तों के संकट क्षण में हर लेते हैं। वह शिवजी के समान अपने भक्तों पर शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं और उन्हीं की भांति अपने उपासकों को भूत-पिशाच के भय से मुक्त रखते हैं। चाहे कैसे भी दुर्गम कार्य हैं उनकी कृपा से सुगम हो जाते हैं। उनकी उपासना से सारे रोगों और सभी प्रकार के कष्टों का निवारण हो जाता है।
kaise or kis trah se iska smadhan kare
ReplyDelete