
आप लोगों ने रामायण पढ़ी होगी ,रामायण में कहीं भी अयोध्या-काण्ड के अलावा अयोध्या शब्द का प्रयोग नहीं हुआ है सभी जगह अवधपुरी का प्रयोग किया गया है.अवधपुरी का अर्थ है 'अवध' जहाँ किसी का वध न किया गया हो.जबकि अयोध्या के राजाओं ने बहुत से युद्ध अपने और देवताओं के लिए अयोध्या से बहार लड़े. अयोध्या में कोई भी युद्ध नहीं हुआ कियोंकि अयोध्या काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह, अहंकार से मुक्त थी, इसलिए 'अवधपुरी' में भगवान् "विष्णु" ने "राम" के रूप में अवतार लिया था जहाँ 'अवध' वहां "राम निवासा" इसका अर्थ है जहाँ 'अवधपुरी' होती है वहां "राम जी" का निवास होता है तो आप लोग अपने घर परिवार ह्रदय, दिमाग और आचरण सभी को काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह, अहंकार से मुक्त बनायें तो आपके घर और आपके पास सदैव "रामजी" का निवास होगा और जहाँ "राम जी" का निवास होगा वहां माता "लक्ष्मी" और "हनुमानजी" का भी निवास होगा,जहाँ इन तीनों देवों का वास होगा वहां किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं हो सकती है.अगर आप अपने घर को अवध बना लेंगे तो आपके घर में सभी के उपर "रामजी" के परिवार की छवि प्रकट हो जाएगी और आप लोग "राम राज्य" जैसा सुख प्राप्त करेंगे. (जो व्यक्ति अपने या अपने घर को 'अवध' नहीं बना सकते तो वो व्यर्थ में सुख की आशा न करें. )
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