" श्री बालाजी सरकार मैने बहुत सुना है तेरे और तेरे दरबार के बारे में कि मेहदीपुर धाम के बालाजी दरबार में सब कुछ मिलता है आप बालाजी सरकार सबकी मनोकॉमनाये पूर्ण करते हो ,मैं आप के बारे में ज्यादा तो नहीं जनता पर् इतना जानता हूँ कि " विशुद्द भक्ति उसे कहते है जिसमें जरा सी भी कामना न हो ,यदि भक्ति में जरा सी भी कामना रह जाये तो वह भक्ति ,भक्ति ही नही रही वह तो व्यापार बन गयी ,अगर भक्ति के बदले हमने भगवान से कुछ मांगा तो हम भक्त ही कहा रह गये ,हम भक्त नही , हम प्रेमी नही हम तो मजदूर बन गये ,और भगबान से भक्ति के बदले अपनी मजदूरी मांग रहे है ,भक्ति के बदले कुछ मांगा तो समझो हम चूक गये हमने कहा कि जैसे - प्रभु मेरी पत्नि बीमार है ठीक हो जाये या फिर हमारे बेटे की प्रभु अच्छी सी नौकरी लग जाये ,तो समझो हम भक्ति से चूक रहे है ,यह भक्ति नही रही यह तो कामना हो गयी है ,क्यों कि भगबान तो विना मागे ही सब देते है !
भक्ति तो तभी है जिसमे कोई मांग न हो ,जब कोई अपेक्षा न हो जिसमें स्वयं का कोई विचार ही न हो ,सब कुछ मौन में परिवर्तन हो जाये कहने को कुछ भी शेष न रह जाये ,सब कुछ प्रभु की भक्ति में विलीन हो जाये ,भक्ति तो भगवान का विशुद्द धन्यवाद है ,भक्ति में मांग का तो सवाल ही नही उठता है ,भक्ति के बदले मांग कर तो हम उस भक्ति का अपमान कर रहे है ,
भगवान ने जो दिया है वह इतना ज्यादा है कि हम अनुगृहीत है ,भगवान ने जो दिया है वह हमारी पात्रता से कही अधिक है ,जिस संसार सागर में हम डूबे हुऐ है ,हम तो जरा सी कृपा के अधिकारी भी नही है ,फिर भी हम कृपा के अधिकारी हुऐ , यह प्रभु की कृपा नही तो और क्या है ,ऐसी कृतज्ञयता का नाम ही तो भक्ति है ,
भक्ति आग की तरह है और सुमिरन घी की तरह है ,यदि हम चाहते है कि भक्ति की ऑच धीमी न पढ़े तो सांस सांस में प्रभु के नाम का घी डालते रहियेगा , और यह भी ध्यान में रखना चाहिये कि जिस तरह सुई में धागा डालने से वह सुरक्षित रहती है खोई नही जाती ठीक उसी तरह आत्मा रूपी सुई में सुमिरन रूपी धागा डाला जाये तो वह संसार में कभी भी खोई नही जाती है ,क्यो कि प्रभु जी उस सच्चे धागे को हमेशा पकड कर रखते है , और इस हमारे शरीर के अंत समय वह आत्मा चौरासी लाख यौनियों में न भटक कर प्रभु जी की कृपा से प्रभु जी के अंदर ही विलीन हो जायेगी , क्यो कि भगवान जी सबसे पहले हमारे अंदर ही विराजमान है ,इसी लिऐ किसी के दिल को दुखाने से पहले हमें अपने अंदर बैठे भगवान का ध्यान जरूर कर लेना चाहिये ,जिससे सबका कल्याण हो और सबका उद्धार हो !!